...........................

Friday, February 20, 2015

बही लिखना, सनद लिखना (My Love)



बही लिखना, सनद लिखना
मेरी चाहत का कद लिखना।
मेरी बातों को तुम कीकर
और अपने लब शहद लिखना।।
..................
तुम्हें पाना नहीं फिर भी
तुम्हारी याद में खोना।
तुम्हारे ख्वाब में जगना
तुम्हारी नींद में सोना।।
मगर फिर हर घड़ी मुंह
फेरकर वो बैठ जाने की।
तुम अपनी बेरुखी लिखना और
मेरी जिद की हद लिखना।।
...........
न जाने प्यार था, व्यापार था
लाचार था ये मन।
उधर संसार था, इस पार था
बेकार सा जीवन।।
कभी बैठो कलम लेकर
जो मन के तार पर लिखने।
वो स्वप्‍नों के बही खाते
वो साखी, वो सबद लिखना।।
..............
कहां मैं सीख पाया था
वो शब्दों के महल बोना।
असल था प्यार वो मेरा
था जिसके ब्याज में रोना।।
किताबों में कभी लिखना
हिसाब अपने गुनाहों का।
बहे जो ब्याज में आंसू
वो सब के सब नकद लिखना।।
बही लिखना सनद लिखना...

-अमित तिवारी
दैनिक जागरण 

2 comments:

  1. Amazing blog and very interesting stuff you got here! I definitely learned a lot from reading through some of your earlier posts as well and decided to drop a comment on this one!

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...