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Saturday, July 30, 2011

एक ख्वाब ही तो है..(Its a dream only)



मेरी आँखों का वो एक ख्वाब ही तो है।
वो चेहरा नर्म-नाजुक गुलाब ही तो है।।


प्यार का हर लफ्ज उस से जुड़ता है।
वो एक मोहब्बत की किताब ही तो है।।


पास जाऊं भी तो कैसे मैं हवा सा पागल।
बुझ न जाये उम्मीदों का चराग ही तो है।।


वो मेरे सामने भी हो तो कैसे देखूंगा।
मेरी निगाह भी उसका नकाब ही तो है।।


मेरे इश्क का सवाल उसे कहूं कैसे।
वो झुकी सी नज़र मेरा जवाब ही तो है।।


उसकी तारीफ में गजलें तमाम लिखता हूँ।
वो साँस लेते हुए कोई महताब ही तो है।।

-अमित तिवारी 
समाचार संपादक
अचीवर्स एक्सप्रेस 

4 comments:

  1. पास जाऊं भी तो कैसे मैं हवा सा पागल।
    बुझ न जाये उम्मीदों का चराग ही तो है।।


    वो मेरे सामने भी हो तो कैसे देखूंगा।
    मेरी निगाह भी उसका नकाब ही तो है।।

    kya khoob likha hai..
    lajwab.

    -Rashmi

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  2. WAH........boht acchi hai.. par thodi mehnat or krta to or acha hota...:P

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  3. beautiful post. THis poem touched my heart,
    excellent write!

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  4. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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