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Saturday, April 18, 2015

बहुत अब हो गया (Its Enough)



बहुत अब हो गया किस्सा
मनाने रूठ जाने का।
फकत अब वक़्त आया है
किसी ताज़ा बहाने का।।
हमीं से अब छुपाते हो 
तुम अपने दिल की लाचारी।
कि अब तो छोड़ भी दो तुम 
ये किस्‍सा आजमाने का।।
किसी के साथ हंसने का
तरीका अब पुराना है।
कोई देखो तरीका तुम
नया दिल काे जलाने का।।
तुम्‍हें तितली कहूं, या फूल 
या गुल या कहूं गुलशन।
तुम्‍हीं कह दो तरीका अब
खुद ही तुमको बुलाने का।।
अब तुम भूल जाओ वो 
तुम्‍हारी याद में रोना।
कि गुजरा वक्‍त है अब 
वक्‍त वो आंसू बहाने का।।
चमकता चांद जो देखा है 
तुमने आसमां में कल।
उसी से ये हुनर सीखा है
दाग अपने दिखाने का।।

-अमित तिवारी 
दैनिक जागरण 

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