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Sunday, December 9, 2012

मेरे सब सपने उसमे ही रहते हैं...(Mere sapne)

माना कि शब्दों का दामन छूटा है,
माना अल्फाजों का धागा टूटा है.
माना कुछ पल बीत गए बिन छंदों के,
माना नाम नहीं लिखे खग वृन्दों के.
लेकिन यह न सोचो सच कुछ बदला है,
रिश्तों का वो आसमान अब धुंधला है.
कुछ कोहरे मौसम के छाये हैं तो क्या!
कुछ पल गीत नहीं गा पाए हैं तो क्या!
यादों की बरसात कहाँ कब थमती है?
वो प्यारी सी बात कहाँ कब थमती है?
उसका आना-जाना, हंसना-खिलना हो,
उससे मिलना जैसे खुद से मिलना हो.
उसके लब भी मेरी बातें कहते हैं,
उसके गम मेरी आँखों से बहते हैं.
मेरे सब सपने उसमे ही रहते हैं..
मेरे सब सपने उसमे ही रहते हैं....

-अमित तिवारी (Amit Tiwari)
नेशनल दुनिया  

13 comments:

  1. कोमल भावों से रची सुंदर रचना

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  2. घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच
    । लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार के चर्चा मंच पर भी है!
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  3. घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच
    । लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार के चर्चा मंच पर भी है!
    सूचनार्थ!

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  4. Nice lines bhai....

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  5. Very nice and inspirational poem..
    All the Best..

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  6. Bitti......
    tujhse nice ni hai...
    ho bhi ni sakta.....

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  7. @ neha ji... Shukriya...
    @ Sangeeta Swaroop ji.. Hardik dhanywad
    @ Roopchandra Shastri ji.. charcha manch par sammilit karne ke liye hardik aabhar,...

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  8. bahut dino k bad kuch lacha padha hai
    thanks mitra

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  9. यादों की बरसात कहाँ कब थमती है?
    वो प्यारी सी बात कहाँ कब थमती है?

    सुंदर भावों से रची रचना.

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  10. @ Shashikala.... Utsahvardhan ke liye Dhanyawad sakhi...
    @ Rachna ji... hardik aabhar....
    @Virendra ji... hardik dhanywad...

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  11. खूबसूरत भावपूर्ण रचना

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  12. सुंदर रचना ....अमित जी
    नया साल आपको शुभ और मंगलमय हो.
    हार्दिक शुभकामनाएँ

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