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सौम्या, 'मतलब... तू कहना क्या चाहता है?'
तन्मय, ' मैं सीधा ही तो बोल रहा हूं यार... तू अच्छी फ्रेंड है मेरी... मैं प्यार करता हूं तुझसे, लेकिन यू नो... तेरे अंदर वाइफ वाला मैटेरियल नहीं है। वो कहते हैं ना कि तुझमे वो लड़कियों वाली बात नहीं है।' तन्मय कहता रहा, 'वो... बस में सफर करते टाइम रुमाल से कभी होंठ, कभी माथे का पसीना पोंछना, शर्माना, पति का खाने पर इंतजार करना, साड़ी पहनकर इतराना... एंड सो ऑन...आई थिंक तू समझ रही है सौमी...'
तन्मय अपनी बात पूरी करके आइसक्रीम लेने चला गया था और सौम्या अब भी उसकी बातों का मतलब समझने की कोशिश कर रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ये वहीं तन्मय है जिसने एक दिन सौम्या को रोता देखकर कहा था, 'क्या यार सौमी... तू ये लड़कियों की तरह रोया ना कर। यू नो तेरी सबसे अच्छी बात कौन सी है... तू और लड़कियों जैसी नहीं है... वो बेवजह रोना-धोना, इमोशनली ब्लैकमेल करना लड़कों को... यू आर डिफरेंट... और इसीलिए तो मैं तुझसे इतना प्यार करता हूं।' गर्लफ्रेंड और वाइफ का फर्क उसे अब समझ आने लगा था।
- अमित तिवारी
दैनिक जागरण
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