हम उनको भूल गए..
उन्होंने कैसे सोच लिया,
कि बागों से फूल गए..
कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं,
जो टूट नहीं सकते...
कुछ दामन ऐसे होते हैं,
जो छूट नहीं सकते..
कुछ लम्हे ऐसे होते हैं,
जो जीवन बन जाते हैं...
कुछ पल ऐसे हैं, जिनको
ये पल लूट नहीं सकते..
कुछ नजरें ऐसी होती हैं,
जो नजरों में उतर जाती हैं..
कभी-कभी कुछ बातें
दिल में, घर कर जाती हैं..
कभी किसी का आना भी,
तनहा कर जाता है..
कभी किसी की यादें दिल
में खुशियाँ भर जाती हैं...
ब्याज तो हर इक रिश्ते
का हम चुकता कर आये...
लेकिन शायद लगता है
हम बिन मूल गए..
खामोशी का अर्थ नहीं,
हम उनको भूल गए..
- अमित तिवारी
दैनिक जागरण
- अमित तिवारी
दैनिक जागरण