बहुत अब हो गया किस्सा
मनाने रूठ जाने का।
फकत अब वक़्त आया है
किसी ताज़ा बहाने का।।
हमीं से अब छुपाते हो
तुम अपने दिल की लाचारी।
कि अब तो छोड़ भी दो तुम
ये किस्सा आजमाने का।।
किसी के साथ हंसने का
तरीका अब पुराना है।
कोई देखो तरीका तुम
नया दिल काे जलाने का।।
तुम्हें तितली कहूं, या फूल
या गुल या कहूं गुलशन।
तुम्हीं कह दो तरीका अब
खुद ही तुमको बुलाने का।।
अब तुम भूल जाओ वो
तुम्हारी याद में रोना।
कि गुजरा वक्त है अब
वक्त वो आंसू बहाने का।।
चमकता चांद जो देखा है
तुमने आसमां में कल।
उसी से ये हुनर सीखा है
दाग अपने दिखाने का।।
-अमित तिवारी
दैनिक जागरण
उसको लिखना, उसको पढना,
उस पर किस्सागोई सी।
उसमे होना, जी भर रोना,
उसमे नींदे सोयी सी।।
उसको पाना, उसको खोना,
उस बिन पल पल कट जाना।
उसकी आड़ी तिरछी सब,
रेखाओं का रट जाना।।
उसका कहना, उसका रहना,
उसकी आँखों के मोती।
अब भी जान नहीं पाया,
बिन उसके साँसे कब होती।।
कह दूँ उसको छोड़ चुका हूँ,
फिर कैसे मैं जिंदा हूँ।
उसकी आँखें नम आखिर क्यूँ?
मैं अब भी शर्मिंदा हूँ।।
उसके वादे, उसके गीत,
उस चेहरे पर मेरी जीत।
उसकी खातिर सपने सारे,
उसकी खातिर सुर-संगीत।।
उसको सुनना, उसको गुनना,
उसकी धुन में खो जाना।
उसकी पलकों के साये में,
मेरे सपनों का सो जाना।।
उससे कह दूं दिल का किस्सा,
जैसा झूठा सच्चा हो।
वो हो, मैं हूं, बस कुछ सपने,
बस इतना हो, अच्छा हो...
बस इतना हो, अच्छा हो...
- अमित तिवारी
दैनिक जागरण

बही लिखना, सनद लिखना
मेरी चाहत का कद लिखना।
मेरी बातों को तुम कीकर
और अपने लब शहद लिखना।।
..................
तुम्हें पाना नहीं फिर भी
तुम्हारी याद में खोना।
तुम्हारे ख्वाब में जगना
तुम्हारी नींद में सोना।।
मगर फिर हर घड़ी मुंह
फेरकर वो बैठ जाने की।
तुम अपनी बेरुखी लिखना और
मेरी जिद की हद लिखना।।
...........
न जाने प्यार था, व्यापार था
लाचार था ये मन।
उधर संसार था, इस पार था
बेकार सा जीवन।।
कभी बैठो कलम लेकर
जो मन के तार पर लिखने।
वो स्वप्नों के बही खाते
वो साखी, वो सबद लिखना।।
..............
कहां मैं सीख पाया था
वो शब्दों के महल बोना।
असल था प्यार वो मेरा
था जिसके ब्याज में रोना।।
किताबों में कभी लिखना
हिसाब अपने गुनाहों का।
बहे जो ब्याज में आंसू
वो सब के सब नकद लिखना।।
बही लिखना सनद लिखना...
-अमित तिवारी
दैनिक जागरण
अधरों का चुंबन मिल जाए
मुझको नवजीवन मिल जाए
अंतर्मन के इन भावों को
तेरा अभिनंदन मिल जाए
.......
मिल जाए तुझसे मिलने का
पलभर का किस्सा जीवन में
भावों का सागर सिमटेगा
पलभर तेरे आलिंगन में
...
....
आलिंगन में भरकर तुझको
फिर जीवन तट छूटे तो क्या
सांसों में जब तू बस जाए
फिर सांसों की लट टूटे तो क्या
.......
तो क्या गर टूटे स्वप्न सभी
जीवन के मरु सागर में
इक प्रेम सुधा की बूंद भली
स्वप्नों के छोटे गागर में
.......
गागर ये तेरे स्वप्नों का
उस क्षीर सिंधु सा पावन है
वो पल जो तुझमें बीता है
वो पल सबसे मनभावन है
.....
मनभावन है मन में तेरा
आना, जाना, जगना, सोना
जीवन का सारा सत्य यही
तेरा होना, मेरा होना
.........
-अमित तिवारी
दैनिक जागरण
लिखना बहन पर
या लिखना गगन पर
दोनों ही मुश्किल है...
गगन नीला है क्यों?
क्यों उसके हाथ चंदन?
गगन का छोर क्या है?
क्यों उसके शब्द वंदन?
वो ऐसा है तो क्यों है
?
ये ऐसी है तो क्यों है?
गगन सब देखता है!
बहन सब जानती है!
गगन बन छत्र छाए!
बहन आंसू सुखाए!
गगन में चांद तारे!
उस आंचल में सितारे!
ना उसका अंत कोई!
ना इसका छोर कोई!
धरा पर ज्यों गगन है!
बस ऐसे ही बहन है!
- अमित तिवारी
दैनिक जागरण

तन्मय का फोन उठाते ही सौम्या चिल्लाई, 'तू पागल है क्या... अकल है कि नहीं...'
तन्मय ने चौंकते हुए पूछा, 'क्यू... अब क्या हुआ?'
सौम्या,
'क्या हुआ क्या... तेरी वजह से कितना बवाल हुआ आज। जब मन करे मुंह उठाकर
फोन मिला देता है। कोई टाइम भी तो होना चाहिए...'
तन्मय, 'लेकिन हुआ क्या? कुछ बता तो।'
सौम्या
ने बिफरते हुए कहा, 'कुछ नहीं हुआ... जब देखो तब तेरा फोन... भाई ने कितना
सुनाया आज... मुझे फोन मत करियो अब कभी जब तक मैं ना करूं... समझा?'
तन्मय ने उदासी से कहा, 'समझा तो नहीं... लेकिन कर भी क्या सकता हूं...'
सौम्या ने खीझते हुए कहा, 'नहीं समझेगा तो नंबर बदल दूंगी। फिर मिलाता रहियो।'
तन्मय हुंकारी भरकर चुप हो गया। सौम्या ने फोन काट दिया।
कुछ
दिन पहले ही सौम्या ने कहा था, 'तू मेरा इंतजार ना किया कर। मेरे इंतजार
में रहेगा तो कभी बात नहीं होगी... बहुत बिजी हूं मैं। तू खुद ही कर लिया
कर फोन।'
फिलहाल तन्मय अपने लेटेस्ट टेलीफोनिक ब्रेकअप के सदमे में
है। सौम्या का पता नहीं... अभी तो दो ही दिन हुए हैं। वैसे भी सौम्या
कहती है कि उसे तो हफ्ते भर किसी की याद नहीं आती।
- अमित तिवारी
दैनिक जागरण
तेरा चेहरा, तेरी आंखें
तेरे होठों की चहक।
तेरा हंसना तेरा गाना
तेरे कंगने की खनक।।
तेरे पैरों की महावर
तेरे बिछुए तेरी पायल।
तेरे बालों का वो गजरा
तेरी मेंहदी से दिल घायल।।
तेरे फूलों से लब खिलना
तेरे छूने की वो नरमी।
दुखों के सर्द मौसम में
तेरी सांसों की वो गरमी।।
तेरी बातें तेरा हंसना
तेरा दिखना तेरा होना।
मुझे मंजूर है सब कुछ
नहीं मंजूर है खोना।।
- अमित तिवारी
सीनियर सब-एडिटर
दैनिक जागरण

कभी तुमसे कहा तो नहीं,
कि तुम ही मेरा जीवन हो।
मेरी खुशियों की तुलसी का,
एक तुम ही तो आँगन हो।।
तुम्हें पाना है जग पाना,
तुम्हारा प्यार धड़कन है।
इसी में बंध के जीना है,
ये वो प्यारा सा बन्धन है।।
नहीं दुख सुख की बातें हैं,
कि जो है प्यार ही तो है।
तुम्हारी बांह में सिमटा,
मेरा संसार ही तो है।।
तुम्हारा हूँ तो खुद का हूँ,
तुम्ही से आस पलती है।
लो मैने कह दिया तुमसे,
तुम्ही से सांस चलती है।।
- अमित तिवारी
सीनियर सब एडिटर
दैनिक जागरण