लिखना बहन पर
या लिखना गगन पर
दोनों ही मुश्किल है...
गगन नीला है क्यों?
क्यों उसके हाथ चंदन?
गगन का छोर क्या है?
क्यों उसके शब्द वंदन?
वो ऐसा है तो क्यों है
?या लिखना गगन पर
दोनों ही मुश्किल है...
गगन नीला है क्यों?
क्यों उसके हाथ चंदन?
गगन का छोर क्या है?
क्यों उसके शब्द वंदन?
ये ऐसी है तो क्यों है?
गगन सब देखता है!
बहन सब जानती है!
गगन बन छत्र छाए!
बहन आंसू सुखाए!
गगन में चांद तारे!
उस आंचल में सितारे!
ना उसका अंत कोई!
ना इसका छोर कोई!
बस ऐसे ही बहन है!
- अमित तिवारी
दैनिक जागरण
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