गीत, ग़ज़ल, कविताई करके
जीवन जीत नहीं पाए..
हार गए सब लफ्ज़ मगर
दिल फिर भी जीत नहीं पाए
वो कब जीते, हम कब हारे..
कब टूटे सपनो के तारे ?
कब हमने उनसे सत्य कहा
कब झूठ समझ पाए सारे ?
पल-पल कर जीवन रीत गया..
पर सपने रीत नहीं पाए..
दिल फिर भी जीत नहीं पाए..
दिल की बातें जंग हुईं कब..
तसवीरें बदरंग हुईं कब ?
कब हँसना-खिलना छूट गया..
नम आँखें अपने संग हुईं कब ?
हर किस्सा हमने कह डाला..
लेकिन वो गीत नहीं गाये..
दिल फिर भी जीत नहीं पाए...
समाचार संपादक
निर्माण संवाद
(तस्वीर गूगल सर्च से साभार )
दिल की बातें जंग हुईं कब..
ReplyDeleteतसवीरें बदरंग हुईं कब ...
बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...
उत्साहवर्द्धन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कैलाश सर..
ReplyDeleteदिल की बातें जंग हुईं कब..
ReplyDeleteतसवीरें बदरंग हुईं कब ?
कब हँसना-खिलना छूट गया..
नम आँखें अपने संग हुईं कब ?
मन के भावों को बखूबी लिखा है ...सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति|धन्यवाद|
ReplyDeleteकब झूठ समझ पाए सारे ?
ReplyDeleteपल-पल कर जीवन रीत गया..
पर सपने रीत नहीं पाए..
दिल फिर भी जीत नहीं पाए..
सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...
अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,