पल पल करते पल वो सारे बीत गए,
चुल्लू भर थे सपने सारे रीत गए।
गीत-ग़ज़ल की बातें खोई-खोई सी,
जब से गुजरे लम्हों के सब मीत गए।।
आहें भर-भर याद करूँ या रोऊ मैं,
कैसे उन सपनो में फिर से खोऊँ मैं।
अब तो उन छंदों के लय, सुर, गीत गए,
जब से गुजरे लम्हों के सब मीत गए।।
आनेजाने उनको खोने-पाने में,
जाने क्या अपराध किया अनजाने में।
कैसे भावों के सारे सुर-संगीत गए,
जब से गुजरे लम्हों के सब मीत गए।।
-अमित तिवारी
नेशनल दुनिया
चुल्लू भर थे सपने सारे रीत गए।
गीत-ग़ज़ल की बातें खोई-खोई सी,
जब से गुजरे लम्हों के सब मीत गए।।
आहें भर-भर याद करूँ या रोऊ मैं,
कैसे उन सपनो में फिर से खोऊँ मैं।
अब तो उन छंदों के लय, सुर, गीत गए,
जब से गुजरे लम्हों के सब मीत गए।।
आनेजाने उनको खोने-पाने में,
जाने क्या अपराध किया अनजाने में।
कैसे भावों के सारे सुर-संगीत गए,
जब से गुजरे लम्हों के सब मीत गए।।
-अमित तिवारी
नेशनल दुनिया
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDelete@ Anju ji... Dhanyawad.
ReplyDelete@ Roopchandra ji.. Hardik aabhar..
@ Kailash ji.. Utsahvardhan ke liye dhanywad..