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Monday, May 12, 2014

तुम ही तो हो (Priytama)



कभी तुमसे कहा तो नहीं,
कि तुम ही मेरा जीवन हो।
मेरी खुशियों की तुलसी का,
एक तुम ही तो आँगन हो।।
तुम्हें पाना है जग पाना,
तुम्हारा प्यार धड़कन है।
इसी में बंध के जीना है,
ये वो प्यारा सा बन्धन है।।
नहीं दुख सुख की बातें हैं,
कि जो है प्यार ही तो है।
तुम्हारी बांह में सिमटा,
मेरा संसार ही तो है।।
तुम्हारा हूँ तो खुद का हूँ,
तुम्ही से आस पलती है।
लो मैने कह दिया तुमसे,
तुम्ही से सांस चलती है।।

- अमित तिवारी
सीनियर सब एडिटर
दैनिक जागरण

Sunday, May 11, 2014

क्योंकि वो निर्भया नहीं हैं (They are not nirbhaya)



आबरू की कीमत भी हर जगह बराबर नहीं होती. उसमें भी नफा-नुकसान का अलग-अलग गणित लगाया जाता है. यही वजह है कि मोमबत्तियां लेकर कोई जुलूस आगे नहीं बढ़ रहा है. जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे भी नहीं लगाये जा रहे हैं. मीडिया के पास भी ये सब दिखाने का वक़्त नहीं है. सोफेस्टिकेटेड यूथ के पास इनके समर्थन के लिये मोमबत्तियां जलाने का वक़्त नहीं है. क्योंकि ये सब निर्भया नहीं हैं.
ये उन दलित लड़कियों की दास्तान है, जिनके साथ कुछ गलत होना हमें झकझोरता नहीं है. म्हारा देस हरियाणा के नारे लगाने और खुद को बेहद हिम्मती बताने वाले लोगों की इस कायराना हरकत पर बोलने की हिम्मत किसी में नहीं हो रही है. हिसार में दलित परिवार की लड़कियों का बलात्कार कोई घटना नहीं है. उनकी आवाज को दबाने की कोशिश और उनके परिवार वालों की प्रताड़ना कोई खबर नहीं है. पीड़ित लड़कियां दिल्ली में अपने लिये न्याय मांग रही हैं. और मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं है कि उन्हे कभी कोई न्याय मिलेगा. न्याय उनके लिये  और वो न्याय के लिये बनी ही नहीं हैं. क्योंकि ये सब निर्भया नही हैं.

 - अमित तिवारी
सीनियर सब एडिटर
दैनिक जागरण
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