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Wednesday, December 22, 2010
हमारे प्रधानमंत्री 'नर्वस' नहीं होते हैं क्योंकि वो 'नारी-वश' हैं ... !!
मनमोहन एक निहायत ईमानदार व्यक्ति हैं. निष्ठावान प्राणी हैं. वफादार तो हैं ही. उनकी वफादारी और निष्ठा पर संदेह नही किया जा सकता है. उनकी वफादारी तो जैसे.....!!
कुछ ऐसी ही तस्वीर बनाई हुई है हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री की कांग्रेसियों ने. सच भी है. जिस वफादारी और निष्ठा से वो अपना काम कर रहे हैं, उस पर संदेह किया भी नही जाना चाहिए. हमें अपने मन से यह संदेह मिटा देना चाहिए कि वो देश के प्रधानमंत्री हैं. हमें ये संदेह भी नही रखना चाहिए कि वो किसी भी हाल में कांग्रेस प्रा. लि. कंपनी के प्रति अपनी वफादारी में कमी ला सकते हैं. वो अपनी मुखिया के प्रति पूर्ण निष्ठावान हैं. इस निष्ठा के लिए वो बाकि किसी भी निष्ठा की बलि चढ़ा सकते हैं. और लगातार चढ़ा भी रहे हैं.
हमें अपने इस शक्तिशाली प्रधानमंत्री पर गर्व करना चाहिए. इनकी शक्ति का नमूना इन्होने कई बार दिखाया है, लेकिन हम देखने को तैयार ही नही होते हैं. जिस दिन अमेरिका से परमाणु संधि करने गए थे और बुश से हाथ मिलाया था उसी दिन अमेरिका के 8 बैंक दिवालिया हो गए. मैं तो खैर मनाता हूँ कि मैडम ने गले मिलने के लिए नही कहा था, वरना अमेरिका सेल पे आ गया होता. !!
ऐसे में हमारी अर्थव्यवस्था रखी है, ये क्या कम बड़ी बात है. शक्तिशाली इतने कि पाकिस्तान के भेजे दस आतंकी मर भी नही पाए थे कि शाम को चिट्ठी लिख दी कि हमारे वाले 20 और लौटा दो.
मीडिया में भी प्रधानमंत्री के धैर्य और शालीनता की लगातार प्रशंसा होती रहती है. मीडिया लगातार कहता आ रहा है कि चाहे देश में कुछ भी हो जाए लेकिन अपने प्रधानमंत्री नही हिल सकते हैं. कभी किसी भी परेशानी में इन्हें परेशान होते नही देखा गया है. हमेशा वही खिलता-मुस्कुराता चेहरा है.
कहा जाता है कि प्रधानमंत्री कभी नर्वस नही होते हैं. अब भला ये भी कोई बात है. प्रधानमंत्री जी नर्वस हो भी कैसे सकते हैं, वो तो वैसे भी "नारी-वश" हैं. जो "नारी-वश" हो गया है वो नर्वस हो भी कैसे सकता है. लेकिन ये मीडिया वाले उन्हें लगातार परेशां करते रहते हैं.
मनमोहन जी तो इतने निष्ठावान है कि उस निष्ठा में वो ये भी भूल गए हैं कि वो देश के प्रधानमंत्री हैं. उन्हें लगता है कि वो तो बस गाँधी परिवार की जागीर को कुछ दिन तक सँभालने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, एक कार्यकारी राजा की तरह. युवा युवराज जैसे ही गद्दी सँभालने लायक हो जायेंगे ये तुरंत उन्हें गद्दी सौंपकर भार-मुक्त हो जायेंगे.
देश को इस भ्रम से बाहर आ जाना चाहिए कि वो कोई प्रधानमंत्री हैं. ऐसी बातों से भ्रम की स्थिति बनती है. लोग बिना वजह उनसे अपनी झूठी सच्ची उम्मीदें बाँध लेते हैं. यह उनके साथ अन्याय है. देश को उनकी नाकारा-नालायक और नाजायज ईमानदारी को स्वीकार लेना चाहिए.
उनसे कभी ये प्रश्न नही किया जाना चाहिए कि उनकी इस नाकारा ईमानदारी से देश को क्या मिलने वाला है?
हमें उनकी इस नाजायज ईमानदारी की मनमोहनी तान पर मंत्र-मुग्ध होकर मान जाना चाहिए.
-अमित तिवारी
समाचार संपादक
निर्माण संवाद
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He must not depend so much on her. kinda annoying !
ReplyDeleteव्यंगात्मक शैली में सटीक बात कह दी है :)
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