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Friday, December 31, 2010

वह क्षीर सिन्धु है 'मेरी बहन' (My Sister)

जब भी चाहा शब्द खोजना,
अर्थ कहीं खो जाता है । 
जब चाहा कि सपने देखूं..
सपना खुद सो जाता है ।।
         उस पर कलम चलाऊं कैसे
         शब्द नही हैं उस लायक ।
         वह प्रेम-पर्व का उच्च शिखर
         मैं धरती का अदना गायक ।।
प्रस्थान बिंदु है वह मेरी
मेरे गीतों की स्वर्ण-तान ।
प्रारंभ वही और अंत वही
है मूल्य मेरा, उसकी मुस्कान ।।
                  
                      ना बाँध सकूँ शब्दों में उसे
                      ना पंक्ति कोई भी पूरी हो ।
                      वो मुझमे है, मुझमे ही रहे
                      न मुझसे, मेरी दूरी हो ।।
धरती सा धीर कहूं उसको
या चंचल जैसे मलय पवन ।
हर रिश्ता घुलकर पूर्ण हुआ
वह क्षीर सिन्धु है 'मेरी बहन' ।।

यद्यपि आज ऐसा कुछ भी नही है जिस से इस कविता का सरोकार स्थापित हो सके. वैसे भी तस्वीर कुछ ऐसी बन चुकी है कि बहन को याद करने का मतलब या तो राखी का त्यौहार हो या फिर भैया-दूज का. उसके अलावा भाई-बहन के प्रेम और रिश्ते पर चर्चा नही होती. 
किसी प्रकार की चर्चा का आधार मैं स्वयं भी नही बना रहा हूँ. ये सवाल जरूर है मन में कि आखिर इस रिश्ते का सच बस इतना सा ही तो नही है ना.... 
बस आज ऐसे ही कुछ पलों को सोचते-सोचते यह कविता बन गयी. कविता पर निस्संदेह अधिकार मेरा नही है, इस कविता पर अधिकार तो इस रिश्ते का ही है, उसी 'क्षीर सिन्धु सी बहन का है'. उसी के कहने पर यह आप सभी से साझा कर रहा हूँ.
बाकी सबसे बड़ा सत्य तो यही है कि उतनी प्यारी कविता शायद ही कभी लिख सकूँ, जितना प्यारा यह रिश्ता है. 

-अमित तिवारी
समाचार संपादक
निर्माण संवाद

10 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण!
    बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  2. oh my God.. its awesome.. m short of words.. :)

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  3. धरती सा धीर कहूं उसको
    या चंचल जैसे मलय पवन ।
    हर रिश्ता घुलकर पूर्ण हुआ
    वह क्षीर सिन्धु है 'मेरी बहन'

    बहुत प्‍यारी कविता है और ये पंक्तियां तो..!!
    बस शब्‍द शेष नहीं है...
    सच कहूं तो तारीफ के शब्‍द बहुत हल्‍के लग रहे हैं। भाग्‍यशाली है वो ..
    और सच में इस रिश्ते का सच बस उतना सा ही तो नही है ना जितने पर सबने समेट दिया है।
    इस रिश्‍ते का आकाश इतना विशाल भी तो है।
    इन शब्‍दों को बहुत सी और कविताओं में पढ़ा है लेकिन आज ये सब शब्‍द सार्थक लग रहे हैं।

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  4. THX...........muahh...ye teen ghante muze yaad rahenge... tere b or mere b...
    me or kucch keh hi nahi sakti kucch....
    sach kaha tha dada ne vo lines... teri taarif me... agar me sagar k pani ki syahi or sare pedo ko kalam b bana lu to b tere bare me pura likh pana kam hoga...
    WE R D BEST..ryt?

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  5. जब चाहा शब्द खोजना,
    शब्द कहीं खो गया।
    speechless.....
    A beautiful feelings that touch the heart..

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  6. जब चाहा शब्द खोजना,
    शब्द कहीं खो गया।
    speechless.....
    A beautiful feelings that touch the heart..

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  7. जब चाहा शब्द खोजना,
    शब्द कहीं खो गया।
    speechless.....
    A beautiful feelings that touch the heart..

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  8. speechless.....
    A beautiful feelings that touch the heart..

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