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Monday, November 1, 2010

शब्दों का श्रृंगार जरूरी है....




भावना पर शब्दों का श्रृंगार जरूरी है. 
दिल से दिल तक इक झीना सा तार जरूरी है.

कुछ रिश्तों में सब कुछ होना
दिल ना चाहे जब कुछ खोना
उन यादों में जीना मरना
बिन उनके क्या हँसना रोना
जीवन में ऐसा भी कोई प्यार जरूरी है
दिल से दिल तक....

चुप रहना भी शब्दों का श्रृंगार हुआ करता है
ख़ामोशी की धड़कन से दिल जो दुआ करता है
लब हिलते हैं चुप हो जाते हैं, जब
कोई ख़ामोशी से दिल को छुआ करता है
शब्दों के धड़कन पर ऐसा वार जरूरी है
दिल से दिल तक....

क्यों जीवन में इतना कोई ख़ास भी होता है
क्यों धड़कन के इतना कोई पास भी होता है
चुप रहना-कहना मुश्किल कर दे
क्यूँ कोई हर पल का एहसास भी होता है
कुछ प्रश्नों का हो जाना निस्तार जरूरी है..
दिल से दिल तक ....


-अमित तिवारी 
समाचार संपादक 
निर्माण संवाद

तस्वीर साभार- http://www.pencilsketch.co.uk/ 

4 comments:

  1. hmm...........mann ko choo lene wali

    panktiyan hain.

    amit ji .it's really good......really

    aise hi likhte rahiye.........

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  2. भावना पर शब्दों का श्रृंगार जरूरी है.
    दिल से दिल तक इक झीना सा तार जरूरी है.

    सुन्दर कविता...
    अच्छे भाव..

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  3. khoob kaha aapne amit ji.. bilkul kabhi kabhi jis tarah khaamoshi dil ka haal bayaan karti hai.. shabd nahi kar paate..
    lagta hai aapne bhi mehsoos kiya hai yeh.. as usual good workk.. :-)

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  4. हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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