आज फिर कुछ लिखने की रुत आई है,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई है।
रिश्तों के तार फिर ख़ामोशी से गुनगुनाये,
दर्द के पोरों से कुछ गम मुस्कुराए।
कुछ नए ज़ज्बात, कुछ पल हैं नए,
कुछ पुराने साज दिल ने फिर सजाये।।
फिर बजी वो यादों की शहनाई है,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई है।
फिर वही पल हैं सुनहरे याद आये,
फिर वही सपने हैं पलकों में सजाये।
फिर वही हँसना-मनाना-रूठ जाना,
फिर वही निष्काम चंचल सी अदाएं।।
आज फिर से दिल ने वही नज़्म गाई है,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई है।
फिर वही हलचल पुरानी, पल नए हैं,
हैं पुराने आज, लेकिन कल नए हैं।
फिर कोई इतना क्यों दिल पे छाया-छाया,
फिर वही खुशबू, मगर संदल नए हैं।।
आज फिर साँसे गुलाबी रंग लाई हैं,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई है।
-अमित तिवारी
समाचार संपादक
निर्माण संवाद
फिर वही पल हैं सुनहरे याद आये,
ReplyDeleteफिर वही सपने हैं पलकों में सजाये।
फिर वही हँसना-मनाना-रूठ जाना,
फिर वही निष्काम चंचल सी अदाएं।।
आज फिर से दिल ने वही नज़्म गाई है,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई है।
दिल को छू लेने वाली पंक्तियां..
सच में बहुत कुछ याद दिला गई ये कविता..
सुन्दर...
hmm...........
ReplyDeletearre amit ji...........kya yaar kaafi kuchh yaad dila dia aaj is kavita ne fir se..........
par sahi me kaafi achchi panktiyan hain
nice.........:)
aise hi achcha -2 likhte rahiye hum FANS k lie
जी बिल्कुल...
ReplyDeleteआप सभी के स्नेह से ही तो लिखना संभव हो पाता है।
'बस दिल के कुछ जज्बात शब्दों में पिरोए, दर्द में जब-जब भी मेरे शब्द रोए'
धन्यवाद।
बहुत अच्छी लगी रचना.
ReplyDeleteare likhana hi tha kuch aisa likah hota ki dil bag bag ho jata aisa likhte ho jaise koi ghum ho gaya hai ya kho hi gaya hai
ReplyDeleteAmit ji kamaal ki panktiyan hain.... shubhkamnayen... likhne ki rut ab kabhi na jaaye ...
ReplyDeletetruly brilliant..
ReplyDeletekeep writing..........all the best